सांप्रदायिक नफरत फैलाने के लिए कंगना रनोट के ट्विटर हैंडल को सस्पेंड करने के लिए दिसंबर की शुरुआत में एक जनहित याचिका लगाई गई थी। अब उस पर बॉम्बे हाई कोर्ट 21 दिसंबर को अपनी बात रखी। कोर्ट ने कहा- कंगना को अपने विचार व्यक्त करने का मौलिक अधिकार प्राप्त है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से भी यह पूछा कि क्या वह साबित कर सकते हैं कि कंगना के ट्वीट उनके मौलिक अधिकार को क्षति हुई है। इस पर याचिकाकर्ता ने कहा- उन्हें मानसिक क्षति हुई है।
7 जनवरी होगी अगली सुनवाई
सोमवार को हुई याचिका की सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाई कोर्ट ने हालांकि याचिका का निपटारा नहीं किया और मांग की कि अस्पष्ट याचिका को जनहित याचिका में बदल दिया जाए। अदालत ने याचिकाकर्ता एडवोकेट अली कासिफ खान देशमुख से 7 जनवरी को होने वाली अगली सुनवाई पर नए सिरे से बहस करने का भी आग्रह किया है।
यह थी याचिका में की गई अपील
कासिफ, कंगना के खिलाफ पहले ही कई मामले दर्ज किए हैं। उन्होंने याचिका में उल्लेख किया कि कंगना ने अदालत के लिए 'पप्पू सेना' जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया, जिससे उनकी भावनाओं को ठेस पहुंची। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कंगना का ट्वीट दो समुदायों के बीच दुश्मनी और नफरत फैला रहा था और देश की अखंडता को नुकसान पहुंचा रहा था।
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